2 Line Ajnabi shayari
मंजिल का नाराज होना भी जायज था !!
हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे थे !!
खुशी देने वाले अपने तो होते ही है !!
पर गम देने वाले भी अजनबी नही होते !!
उस अजनबी से हाथ मिलाने के वास्ते !!
महफ़िल में सब से हाथ मिलाना पड़ा मुझे !!
Ajnabi Shayari in Hindi
अजीब हाल में पहुंच गई है जिंदगी !!
अब ना कोई अजनबी रहा ना कोई अपना !!
जो चाहा वो मिला नही तो क्यों ना !!
जो मिला है उसे चाहा जाए !!
क्यों बनू मैं किसी और जैसा !!
जमाने में मुझसा भी तो कोई नही !!
क्यों तलास्ते हो खूबी मुझमें ये खूबी !!
क्या कम है की तुम मेरे हो !!
Ajnabi Shayari in Hindi
छोटी सी बिंदी रंग सांवला है !!
उसे देख हर कोई बावला है !!
मुस्कुराना आदत है हमारी !!
वरना जिंदगी तो हमसे भी नाराज है !!
इस अजनबी शहर में पत्थर कहां से आया है !!
लोगों की भीड़ में कोई अपना ज़रूर है !!
मंजिल का नाराज होना भी जायज था !!
हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे !!
Ajnabi Shayari in Hindi
इस दुनिया मेँ अजनबी रहना ही ठीक है !!
लोग बहुत तकलीफ देते है अक्सर अपना बना कर !!
हमसे मत पूछो यारो उनके बारे मे !!
अजनबी क्या जाने अजनबी के बारे मे !!