Ajnabi Dost shayari
अजनबी ख्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ !!
ऐसे जिद्दी हैं परिंदे के उड़ा भी न सकूँ !!
फूँक डालूँगा किसी रोज ये दिल की दुनिया !!
ये तेरा खत तो नहीं है कि जला भी न सकूँ !!
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एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है !!
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है !!
उससे मिलना तो तकदीर मे लिखा भी नही !!
फिर हर मोड़ पे उसी का इंतज़ार क्यों है !!
हम तो यूँ अपनी ज़िन्दगी से मिले !!
अजनबी जैसे अजनबी से मिले !!
जिस तरह आप हम से मिलते हैं !!
आदमी यूँ न आदमी से मिले !!
Ajnabi Shayari in Hindi
एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है !!
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है !!
उससे मिलना तो तकदीर मे लिखा भी नही !!
फिर हर मोड़ पे उसी का इंतज़ार क्यों है !!
अजनबी बन के हँसा करती है !!
ज़िंदगी किस से वफ़ा करती है !!
क्या जलाऊँ मैं मोहब्बत के चराग़ !!
एक आँधी सी चला करती है !!
एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है !!
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है !!
उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद !!
फिर हर मोड़ पे उसी का इंतज़ार क्यों है !!
Ajnabi Shayari in Hindi
हम तो यूँ अपनी ज़िन्दगी से मिले !!
अजनबी जैसे अजनबी से मिले !!
जिस तरह आप हम से मिलते हैं !!
आदमी यूँ न आदमी से मिले !!
वजह पुछने का तो मौका ही कहाँ मिला !!
वो लहजे बदलते गये और हम अजनबी बनते गये !!
जहाँ भूली हुई यादें दामन थाम लें दिल का !!
वहां से अजनबी बन कर गुज़र जाना ही अच्छा है !!
Ajnabi Shayari in Hindi
दिल चाहता है कि फ़िर ,अजनबी बन !!
कर देखें ,तुम तमन्ना बन जाओ !!
हम उम्मीद बन कर देखें !!